सरकार !

Posted on 3/28/2019

राजनीति जैसी भी हो - भारत में एक वर्ग सरकार को पता नहीं क्या समझता है ! हर बात के लिए या तो ये होता है कि सरकार को ऐसा करना चाहिए, या सरकार ने ऐसा किया नहीं! 🤔

कुछ दिनों पहले एक ख़बर पढ़ी थी। हेडलाइन कुछ ऐसी थी - '73 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं नींद में सुधार’। पता नहीं क्यों … राजनीतिक माहौल या शीर्षक ही कुछ ऐसा था कि मुझे लगा ख़बर में आगे होगा सरकार को इसके लिए कोई क़दम उठाना चाहिए। अरे यदि सोना चाहते हो तो सो लो। नींद में सुधार? कौन करेगा ! तुम्हारी नींद है, तुम्हारा पूरा नियंत्रण है।- ज़्यादा सो लो अगर लगता है कि कम सो रहे हो। (वैसे तो इस मामले में सरकार की बात तो नहीं आयी थी पर - )

सरकार से बेमतलब की अपेक्षायें और हर बात में दोष देना एक ऐसी आदत है कि …जो लोग कुछ नहीं करते वो चाहते हैं कि सरकार कुछ कर देती। एक वर्ग ऐसा है जिसे मैंने देखा है नेताओं के चक्कर काटते। पंप ऑपरेटर, चपरासी - कुछ भी - सरकारी नौकरी दिला देते। सरकारी काम ताकि कुछ भी काम ना करना पड़े। और फिर लोग कहते हैं कि नेता झूठे वादे करते हैं! एक तरह से तो ये भी लगता है कि और करें भी तो क्या? लोगों को जो चाहिए वो सरकार का काम ही नहीं होना चाहिए।

...एक पत्रकार ने पिछले दिनों ट्वीट किया था कि कुम्भ में होटल वाले मनमाने दाम ले रहे हैं सरकार को कुछ करना चाहिए। सरकार उनके लिए कम दाम पर रूम दिला दे?! सरकार है कि बुकिंग डॉट कॉम ! दुनिया में कहीं भी कोई इवेंट हो होटलों के रेट बढ़ जाते हैं! लम्बे वीकेंड पर। दोगुने से अधिक दाम पर फ़्लाइट की टिकटें मिलती हैं जब स्कूल-कॉलेजों की छुट्टियाँ होती हैं। मैं पिछली बार भारत आया था उतने के टिकट में जितने में सामान्य समय में बिज़नेस क्लास की टिकेट मिल जाती है। मुझे कोई कारण नहीं दिखा कि ये क्यों किसी सरकार द्वारा नियंत्रित होना चाहिए। एक कॉन्फ़्रेन्स से होटलों के दाम बढ़ जाते हैं और कुम्भ जो दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा है उसमें रेट ना बढ़े? वर्षों में एक बार उन्हें कमाने का मौक़ा मिलता है। सरकार बस आपको मुफ़्त में दिला दे? किसने पत्रकार बना दिया? ख़ैर इतनी समझ होती तो पत्रकार ही क्यों बने होते [ये एक बार कह दिया था तो कोई नाराज़ हो गया था :)] !

कुम्भ में ही एक अन्य मीडिया वाले ने कहा - कुछ इंतज़ाम ही नहीं है मीडिया वालों को घटिया कम्बल मिले हैं?

मुझे लगा घटिया का सवाल तो बाद में आता है मीडिया वालों को मुफ़्त में सरकार कम्बल क्यों देती है? ! इंतज़ाम नहीं है तो धर्मशाला में सो जाओ ! हमने उनसे पूछा जो स्टेशन पर और खुले मैदान में सोकर कुम्भ कर आते हैं उन्होंने तो कहा कि अप्रतिम व्यवस्था है ! तुम्हें फ़ाइव स्टार चाहिए, मुफ़्त में और तुम जनता कि परेशानी बताने का काम करते हो? आम आदमी की!

जिस देश में सरकार से ऐसी अपेक्षाएँ हों वहाँ सरकार से नीतियाँ, सुरक्षा-व्यवस्था और सरकार को जो वास्तव में करना चाहिए वो कहाँ से करेगी?

किसी का बेटा निकम्मा-नालायक़ है जो कुछ करने लायक नहीं है तो सरकार उसे सरकारी नौकरी दे दे ताकि उसे निकम्मेपन के पैसे मिलने लगे ! तो जिसे सत्ता में आना है वो देश को वेनेज़ुएला बना देने वाली मुफ़्तख़ोरों की ही नीतियाँ बनाएगा कर्मठ सिंगापुर बनाने से उसे क्या मिलेगा?

आरक्षण का मैं विरोध करता रहा हूँ पर कुछ रोना रोने वालों को एक बार कहने का मेरा मन हुआ था - तुम डिजर्व नहीं करते रोना, तुम पास तो होने लायक हो नहीं, तुम्हें रिजेर्वेशन मिलता भी तो तुम क्या कर लेते! सरकार जी तुम्हारे लिए पढ़ाई कर दें? पहले कुछ करने लायक तो होते!

सब सरकार करे। आप की ग़लती के कारण यदि आपके साथ कुछ गड़बड़ हुई तो जवाबदेही सरकार की ! - लोकतांत्रिक देशों में सरकार को एक डिस्क्लेमर लगा देना चाहिए - कि जनता अपने *तियापे के लिए स्वयं ज़िम्मेदार है।


मैंने किसी से कहा था - भाई ये काम तो तुम्हारा ख़ुद का है तुम्हें ख़ुद करना चाहिए। तो उन्होंने कहा - हम क्यों करें? हम सरकार थोड़े हैं ! कुछ करना तो सरकार का काम होता है ना! 😄