मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ !

Post date: Feb 18, 2012 8:30:10 PM

What a song ! (no more comments)

अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ, आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ।

कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा गर, बूंद को मोती बनाना चाहता हूँ।

थक गया मैं करते करते याद तुझको, अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ।

छा रहा है सारी बस्ती में अंधेरा, रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ।

आखिरी हिचकी तेरे जानो पे आए, मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ।

अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ, आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ।