कितनी देर लगती है उसको भूल जाने में

Post date: Jan 14, 2011 4:17:09 AM

Undoubtedly the lines in italics are the best among all these lines but my mood says to put last one as title :)

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में,

तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में.

और जाम टूटेंगे इस शराब्-ख़ाने में,

मौसमों के आने में मौसमों के जाने में.

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं,

उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में.

फ़ाख़ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती,

कौन साँप रखता है उसके आशियाने में.

दूसरी कोई लड़की ज़िन्दगी में आयेगी,

कितनी देर लगती है उसको भूल जाने में .

- बशीर बद्र