ख़ुदा रखते थे ?
Post date: Jan 11, 2013 8:45:52 PM
भगवान, धर्म और दर्शन में विश्वास एक बड़े वर्ग को साहस देता है - जीने का मकसद। मुश्किल वक़्त में जब कुछ और काम न करे तो हिम्मत हारने के बाद दोष देने को ... दिल बहलाने को भी ...
पर एक वर्ग ऐसा भी होता है जो बस तर्क पर भरोसा करता है। नास्तिक नहीं शायद ... पर कर्म में अटूट विश्वास. अंत तक जूझने वाले।
दोनों के लिए कठिन हालात आते हैं - पर ख़ुदा पर भरोसा ही न हो तो ये शेर कैसे सुकून देगा ? !
ज़िन्दगी अपनी कुछ इस शक्ल से गुज़री ग़ालिब।
हम भी याद करेंगे के ख़ुदा रखते थे !
बड़ा कठिन है जब सब सही ही होते हुए भी अपनी मर्जी का ना हो ! और दोष देने को भी कोई न मिले. ख़ुदा भी नहीं। ... :)