Emotional Status Messages
Post date: Feb 21, 2018 12:19:01 AM
हमारी हर बात हमारे बारे में कुछ न कुछ बताती हैं... हर वो काम जो हम करते हैं. चलने और बोलने का तरीका तक. और जब सोशल मीडिया का ज़माना है तो आप कैसी बातें शेयर या लाइक करते हैं वो भी बहुत कुछ कहता है. फिर कई लोगों की पसंद में एक पैटर्न दीखता है. सबसे ज्यादा जज़्बाती (emo) स्टेटसों में. एक ख़ास तरह के लोग ही ऐसी बातों को पसंद और शेयर करते हैं। तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो गाने की तरह. एक तो ऐसी सारी बातें लिखी भी ऐसे लोगों को ही लक्ष्य करके की जाती हैं जो टूटे हुए हैं. कहीं न कहीं अधूरे से. मन में एक टीस पाले. जिनका कुछ अधुरा छुट गया अब वो कहीं रहते हैं उनका मन कहीं. और मजे की बात ये है कि ये तथाकथित ‘पोजिटिव’ और गहरे सन्देश वास्तव में घाव को भरने की जगह कुरेदने का काम करते हैं जिनसे लोग अपने अहं (ईगो) को बढ़ाते (फीड) ही करते हैं. एक ख़ास तरह के लोग ही इन संदेशों को पढ़ते और उसे पसंद करते हैं. ये कुछ कुछ ज्योतिष कथनों की तरह होते हैं. ज्योतिष में कुछ जेनेरिक – सब पर फिट होने वाली बातें होती हैं. वैसे ही ये बिखरे-टूटे लोगों पर फिट बैठने वाली पंक्तियाँ होती हैं.
‘आप दिल के बहुत अच्छे हैं लेकिन आपको कोई समझ नहीं पाता’ – जबकि होता ऐसा है कि आप दिल के अच्छे हैं तो लोग समझेंगे ही !
जैसे - आपने अगर जिंदगी में लोगों को खोया है तो इसलिए कि आप कुछ सही कर रहे थे. (जी नहीं आप सही करने के लिए लोग नहीं खोते) या अगर आप की सभी से दोस्ती है तो आपने ज़िंदगी में बहुत समझौते किए हैं ! क्या? जी नहीं ऐसा नहीं होता।
तुम तकलीफ में हो क्योंकि तुम सबसे अच्छे हो? (अच्छे लोग तकलीफ में होते हैं?)
दुनिया मूर्खों से भरी पड़ी है. तुक अकेले बुद्धिमान हो और इसलिए तुम डिप्रेस हो. (J) डिप्रेस होना अच्छी बात है? फिर तो बेवक़ूफ़ होना ही अच्छा हुआ? ! दिल से सोचने वाले लोग दुखी रहेंगे ही। (तो बिना दिल के रहना ही अच्छा है !)
अच्छे इंसान बनो लेकिन इसको साबित करने में टाइम मत ख़राब करो. (मतलब ये कि किसी ने तो तुमे सच्चाई का आइना दिखाया और जरूर तुम उसी में डूबे रहते हो J)
खैर, ये दुनिया और इसमें रहने वाले लोग ! J
व्हाट्सऐप फॉरवर्ड में भी अक्सर एक फूटनोट लगा होता है - 'गीता में लिखा है', ग़ालिब, बच्चन. इत्यादि. जो लगभग हमेशा ही गलत होता है. और आजकल 'मनोविज्ञान कहता है.' और मैसेज घुमा फिरा कर यही कहता है कि तुम बर्बाद ही ठीक हो. साइकोलोजी नया फुटनोट है. पढने वाले को लगता है बिलकुल सच है ! क्योंकि उसकी बात जो कही जा रही है और साथ में वो प्रमाणित भी होती प्रतीत हो रही होती है. तो घुमा फिरा के इस ज्ञान के प्रवाह में लोग सीखने की जगह और रूढ़ ही होते जा रहे हैं. जो अपने मन का नहीं वो क्यों पढना जब हर दूसरा मैसेज मेरे मन का ही है ! इन फॉरवर्ड्स से सिर्फ एक बात सीखने लायक होती है और वो ये कि इनको पढने की जगह... फूटनोट में जो लिखा है उन्हें पढ़ा जाय. वो पढ़िए इसलिए क्योंकि तब आपको पता चलेगा कि जो आप पढ़ रहे हैं वो सच नहीं है !