दिल
Post date: Jan 19, 2011 4:59:22 AM
डाक्टर की जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू हुआ है. उसने प्रेम, प्यार और स्नेह को बायोलॉजी के सिद्धांतों से ही हमेशा मापने की कोशिश की थी. वह हंस कर कहा करता "दिल नाम की कोई चीज आदमी के शारीर में है, हमें नहीं मालूम. पता नहीं आदमी 'लंग्स' को दिल कहता है या 'हार्ट' को. जो भी हो, 'हार्ट' 'लंग्स' या लीवर का प्रेम से कोई सम्बन्ध नहीं है."
अब वह यह मानने को तैयार है कि आदमी का दिल होता है, शारीर को चीर-फाड़कर जिसे हम नहीं पा सकते हैं. वह हार्ट नहीं वह अगम अगोचर जैसी चीज है, जिसमें दर्द होता है, लेकिन जिसकी दवा `ऐड्रिलिन' नहीं. उस दर्द को मिटा दो आदमी जानवर हो जाएगा. ...दिल वह मंदिर है जिसमें आदमी के अंदर का देवता बास करता है.
- फणीश्वरनाथ रेणु (मैला आँचल में )