...दान का मन्त्र
Post date: Jun 2, 2011 12:31:09 AM
अद्भुत सहनशीलता है इस देश के आदमी में ! और बड़ी भयावह तटस्थता ! कोई उसे पीटकर पैसे छीन ले तो वह दान का मन्त्र पढ़ने लगता है... -हरिशंकर परसाई.
परसाईजी को पढते हुए लगता है कितनी शाश्वत पंक्तियाँ लिखी हैं उन्होंने. आजकल ऑफिस आते-जाते रास्ते में परसाईजी को पढ़ना हो रहा है. पढते-पढते बहुत तेज हंसी भी आ जाती है. ट्रेन में बैठे आस-पास वाले लोग भी सोच में पड़ जाते होंगे 'क्या हो गया इसे जो हँसे जा रहा है'. कुछ शायद ये भी सोचते हों कि इसके कल-कांटे ढीले हो रहे है. :) पर व्यंग में गजब की सच्चाई छुपी होती है. अगले कुछ दिनों में ऐसी कुछ और भी पंक्तियाँ पोस्ट करने का मन है. मेरे एक दोस्त का कहना है कि परसाई जी को मजे लेकर पढ़ना होता है. चाय की तरह चुस्की ले लेकर पढ़ना होता है... इसलिए एक-एक करके पढ़ रहा हूँ. वर्ना कब की खत्म हो गयी होती ये किताब तो.