ऐसा हो तो आव :)
Post date: May 22, 2013 3:55:26 PM
यूँही... कुछ शाश्वत बातें :)
प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय,
राजा-परजा जेहि रुचै , सीस देइ लै जाय।
यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहिं,
सीस काटि भुइंयाँ धरो, तब पैठो घर माहिं।
सीस काटि भुइंयाँ धरो, ता पर राखो पाँव,
दास कबीरा यों कहै, ऐसा हो तो आव।
मैं घर जारा आपना, लिया मुरैरा हाथ,
अब घर जारौं ताहि का जो चलै हमारे साथ। - कबीर
काढ़ी, करेजो मैं धरूँ रे, कागा, तू ले जाइ।
ज्याँ देसां मेरा पिउ बसे रे, वे देखें, तू खाइ। - मीराबाई
वसीयत 'मीर' ने मुझको यही की,
कि सब कुछ होना तो, आशिक न होना ! - मीर