अधूरे काम
Posted on 4/18/2019
मुझे लगता है कि हर दिन (और आने वाला कल) बीते हुए दिन से अधिक व्यस्त होता है। ज़िंदगी एक ऐसी जहाज़ है जिसमें नए काम, लोग, याद वग़ैरह चढ़ते रहते है - हर पल - जन्म से लेकर मृत्यु तक। कोई बंदरगाह नहीं होता जहाँ उनमें से कुछ भी उतार सकें। ये सोचना कि एक ऐसा दिन आएगा जब हमारे पास समय ही समय होगा। हम झंझटों से मुक्त होंगे और हम तब फ़लाँ काम करेंगे तो - ऐसा कभी नहीं होने वाला।
ऐसा हुआ भी तो पता नहीं उसे सौभाग्य कहेंगे या दुर्भाग्य। मुझे अपने सीमित अनुभव से ऐसा लगता है कि व्यस्त रहना संसार के सबसे ख़ूबसूरत चीज़ों में से एक है। ख़ुशक़िस्मत हैं आप यदि आपके पास समय का अभाव रहता है - बेकार सोचने का समय नहीं होता। या अब क्या करें ये सोचना नहीं पड़ता। इसलिए कभी व्यस्तता का रोना नहीं रोना चाहिए। लेकिन अधूरे काम चिढ़ाते हैं। और कभी कभी ये भी लगता है कि कह रहे हों - सब कुछ तुम्हीं करोगे ! वो याद दिलाते हैं कि जो काम कर सकते हो उनकी भी एक सीमा है। वो असम्भव काम नहीं हैं पर उन्हें बाँधने वाली शर्तें जैसे 'अन्य काम’ करने वाले को खींचे रखते हैं। अर्थात उन्हें जब होना होगा तभी होंगे।
अधूरे कामों की लिस्ट बढ़ती जा रही है और व्यस्तता भी। ऐसे में इस समझ का कुछ किया नहीं जा सकता सिवाय एक संतोष के कि जो अधूरे काम है वो कम से कम उन कामों की वजह से अधूरे हैं जिन्हें करने में भी कुछ कम आनंद नहीं। उन्हें करने की कोई मजबूरी नहीं। और ‘फ़लाँ’ नामक अधूरा काम जिस दिन ज़रूरी हो जाएगा उस दिन बाक़ी सब अपने आप किनारे हो जाएँगे, उसका समय नहीं आया के अलवा अधूरेपन का एक कारण ये भी है कि शायद वो अभी इतना ज़रूरी नहीं !